How To Live Happy :-
हर कोई यही चाहता है कि वह और उसका परिवार हर समय खुश रहे। और अगर किसी से पूछा जाए कि वह अपनी ज़िंदगी में खुश है, तो मुझे लगता है कि 99.9% लोगों को जवाब नहीं में होगा। आखिर ऐसा क्यों है, जब हर कोई खुशी की ही कामना करता है तो भी वह खुश क्यों नहीं रह पाता। आप भी इस ब्लॉग पर इसलिए ही हैं, क्योंकि आपके मन में भी कभी ना कभी ये सबाल तो जरूर आया होगा कि समाज में सभी लोग खुश क्यों नहीं है? क्यों लोग हर समय दुःख में ही रहते हैं? तो चलिए आज हम दुख के पीछे के कुछ कारणों और इनके समाधान के कुछ सैद्धांतिक उपायों का अध्ययन करते हैं।
दुःख के कुछ कारण:-
- कामना
- अज्ञान
- अशक्ति
- अभाव
- सांसारिक मोह
How To Live Happy In Life:-
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Happiness quotes in Hindi |
संतुष्ट होना सीखिए :-
सुखी रहने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है : हमारी संतुष्टि। आज के भीड़भाड़ के युग में हमारे दुखों का सबसे बड़ा कारण हमारी लालसा ही है। अगर हम लालसा का त्याग कर देंगे, तो वास्तव में सुखी हो पाएंगे। लालसा त्यागने का अर्थ यह नहीं है कि आप सांसारिक क्रियाकलापों का ही त्याग कर दें।
जो लोग हर समय खुश रहते हैं उनके पास जरूरी नहीं है कि सब कुछ है। वो इसलिए खुश हैं क्योंकि उनके पास जो कुछ है वो उस से संतुष्ट हैं।
इसलिए यह जरूरी नहीं है आप अधिक से अधिक धन और संपदा एकत्रित करेगें तभी आप खुश होंगे । खुश रहने के लिए आपका संतुष्ट होना जरूरी है। और संतुष्ट होने के लिए जरूरी है कि आप वो काम करें जो आपका दिल चाहे।
दूसरों को खुश रखें:-
दूसरों को खुशियां बांटते रहो, क्योंकि जितना आप खुशियां बांटेंगे, उतनी ही आपके पास भी आएंगी।
खुशियां बांटने पर भी बढ़ती ही जाती हैं।
अगर आप खुश रहना चाहते हैं, तो दूसरों को खुश करना सीखिए। यकीन मानो, ये लोग आपको कभी दुखी नहीं होने देंगें।
जीवन का आनंद लें:-
जिंदगी में दुख आते ही रहते हैं। हम हमेशा बड़ी खुशी की चाहत में रहते हैं, इस दौरान हमें कई छोटी छोटी खुशियां मिलती हैं, मगर हम उन खुशी के पलों का आनंद नहीं ले पाते । हम हमेशा अधिक से अधिक पाने की चाहत में रहते हैं । अतः यह जरूरी है कि आप खुशी के इन छोटे-छोटे पलों में जिंदगी का आनंद लें।
हमारे पास जो नहीं होता है हम उसी को पाने के प्रयास में लगे रहते हैं। इस दौरान हम अपने जीवन में खुशी के छोटे-छोटे पलों का आनंद नहीं ले पाते।
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Live happy in life |
घमंड का त्याग करें:-
घमंड का त्याग कर दें, क्योंकि आपका घमंड कभी आपको खुश नहीं रहने देगा। अधिकतर लोग दूसरों को खुश देख कर मन ही मन जलन महसूस करते हैं, इस से नुकसान सिर्फ़ आपका ही होने वाला है। इसलिए दूसरों की खुशियों में अपनी खुशियां तलाशना सीखिए। क्योंकि ना ही तो दुःख स्थाई है ना ही सुख।
एक ही समय में कोई दुखी हो रहा होगा तो कोई खुशी । यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपने दुःख में विलाप करना चाहते हैं, या दूसरों को खुशी में शामिल होकर अपना गम भुलाना चाहते हैं।
यकीन मानिए अगर लोग दूसरों को खुशी में अपनी खुशी तलाशना सीख गए, तो दुख अपने आप खत्म हो जाएगा।तब इस पूरे जहान में सिर्फ़ खुशी ही खुशी होगी।
दूसरों से तुलना ना करें:-
प्रत्येक व्यक्ति के पास अपनी अपनी योग्यता होती है । हमें अपनी योग्यता को पहचान कर उसका लक्ष्य प्राप्ति में सही तरह से प्रयोग करना चाहिए। परंतु इसके विपरीत हम हमेशा दूसरों से अपनी तुलना करते रहते हैं।
दूसरों से तुलना हमें कभी खुश नहीं होने दे सकती ।अतः खुश रहने के लिए जरूरी है कि आप दूसरों के साथ अपनी तुलना ना करके अपनी योग्यता को निखारे।
आकर्षण के सिद्धांत को समझिए:-
आकर्षण का सिद्धांत कहता है कि आप जैसा सोचेंगे, आपका व्यक्तिव भी वैसा ही बन जाएगा।
यकीन मानिए आपके मन में जिस तरह के विचार आएंगे, आपका व्यवहार भी उसी तरह का हो जाएगा।
अब आप यह सोच रहे होंगे कि सभी लोग वास्तव में तो सुख की ही कामना करते हैं, वे सुख की प्राप्ति के लिए ही प्रयत्न करते हैं,तो फिर आकर्षण के सिद्धांत के आधार पर तो उन्हें सुख की प्राप्ति होनी चाहिए। फिर ऐसा क्यों नहीं होता है।
जब आप सुख के बारे में सोच रहे होंगे, आपके मन और दिमाग में वास्तविक छवि दुःख की ही होगी।
चलिए इससे एक प्रयोग के द्वारा समझते हैं मैं आपको कहता हूं कि आप अपने भगवान से सुख की प्राप्ति के लिए कामना कीजिए। अधिकतर यही कहेंगे कि हे भगवान, मुझे दुखों से मुक्ति मिल जाए। आकर्षण के सिद्धांत के अनुसार वास्तव में तो आप सुख की प्राप्ति के लिए भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं ,मगर आपके मन और दिमाग में छवि दुःख की बनी है। जिसके कारण आप दुःख के और भी नजदीक जा रहे हैं।हमें इसी नकारात्मकता को पहचानना होगा।
एक अन्य उदाहरण के रूप में मान लीजिए आप एक विद्यार्थी हैं ,आप को पढ़ते समय नींद आ जाती है, आप चाहते हैं कि मैं आज 3 या 4 घंटे सोने से पहले पढूं । इसके लिए आप अपने मन को यह समझाते हैं कि आज मुझे जल्दी नहीं सोना है बल्कि पढ़ना है । आकर्षण के सिद्धांत के आधार पर वास्तव में आपको नींद जल्दी आएगी, क्योंकि आप नींद के बारे में सोच रहे हैं न कि पढ़ने के बारे में। अतः हमें सोचने के इस नकारात्मक तरीके को बंद करना होगा, इसके स्थान पर आप यह कह सकते हैं कि आज मैं 3 या 4 घंटे पढूंगा। ऐसा सोचते समय हमें नींद के बारे में नहीं सोचना चाहिए। यह सोचने का एक सकारात्मक तरीका है। यही बात आपको सुख की प्राप्ति के लिए भी लानी होगी तभी आप वास्तव में सुखी रह सकते हैं ।आकर्षण के सिद्धांत को बहुत लोगों ने प्रयोग भी किया है और वे इसमें सफल भी हुए हैं। यह सिद्धांत वास्तव में बहुत उपयोगी है । मगर यह हम पर निर्भर करता है कि हम इसका उपयोग कैसे करते हैं।
निष्कर्ष:
अंत में यही कहना चाहूंगा कि जीवन में दुख और सुख आते ही रहते हैं । हमें दुख के समय में धैर्य से काम लेना चाहिए। ना तो हमें दुख में अधिक चिंतित होना चाहिए, ना ही तो सुख के समय अधिक खुश होना चाहिए।
किसी महापुरुष ने ठीक ही कहा है इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता की हमारे पास क्या है बल्कि हम उससे कितना खुश हैं यह बात अधिक महत्वपूर्ण है । इसलिए सदा खुश रहें।
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